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Samyukt Kisan Morcha

MSP on Crop: एमएसपी एवं कृषि विषयों पर सुझाव देने वृहद कमेटी गठित, एक संगठन ने बनाई दूरी

MSP on Crop: एमएसपी एवं कृषि विषयों पर सुझाव देने वृहद कमेटी गठित, एक संगठन ने बनाई दूरी

कृषि मंत्रालय ने फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)(MSP), प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण एवं अन्य प्रमुख विषयों पर सुझाव देने के लिए 29 सदस्यीय एक वृहद कमेटी का गठन करने की जानकारी दी है।

इन्होंने किया किनारा :

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग करने वाले किसान संगठनों ने समिति में शामिल होने के लिए नाम प्रस्तावित नहीं किया है। हालांकि इसके बाद भी सरकार ने घोषित की गई समिति में संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के तीन सदस्यों के लिए स्थान खाली रखा है।

सचिव होंगे अध्यक्ष

यदि भविष्य में मोर्चा की तरफ से नाम आता है तो इन्हें समिति में जोड़ा जाएगा। अधिसूचित समिति द्वारा दिए जाने वाले सुझावों के बारे में भी स्पष्ट किया गया है। इसके लिए तीन प्रमुख विषयों को स्पष्ट किया गया है। बताया गया है कि इस समिति की अध्यक्षता पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल करेंगे।

समिति में शामिल दिग्गज नाम :

वृहद कमेटी में नीति आयोग सदस्य रमेश चंद, कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सीएससी शेखर, आईआईएम अहमदाबाद के डॉ. सुखपाल सिंह के अलावा उन्नत किसान भारत भूषण त्यागी के नाम शामिल हैं। किसान प्रतिनिधियों के रूप में तीन स्थान संयुक्त किसान मोर्चा के लिए खाली रखे गए हैं। अन्य किसान संगठनों में भारतीय कृषक समाज अध्यक्ष डॉ. कृष्णवीर चौधरी, गुणवंत पाटिल, प्रमोद कुमार चौधरी, गुणी प्रकाश व सैय्यद पाशा पटेल का नाम दर्ज है।

समिति में इनको जगह :

सहकारिता क्षेत्र से इफको चेयरमैन दिलीप संघानी, विनोद आनंद के अलावा सीएसीपी के सदस्य नवीन पी. सिंह को समिति में शामिल किया गया है। 

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 कृषि विश्वविद्यालय व संस्थानों से डॉ. पी चंद्रशेखर, डॉ. जेपी शर्मा (जम्मू) और जबलपुर के डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन का नाम शामिल किया गया है। केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों में कृषि सचिव, आइसीएआर के महानिदेशक, खाद्य सचिव, सहकारिता सचिव, वस्त्र सचिव और चार राज्य सरकारों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिवों की समिति में भूमिका रहेगी।

प्रभावी एमएसपी व्यवस्था बनाने देगी सुझाव

संयुक्त सचिव (फसल) को इस समिति का सचिव नियुक्त किया गया है। अधिसूचना जारी करने के साथ ही इसमें समिति के गठन का उद्देश्य भी स्पष्ट किया गया है। समिति के गठन का उद्देश्य प्राथमिकता के तौर पर एमएसपी व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाना है। अतः समिति भारत के किसानों के हित में लागू एमएसपी व्यवस्था को और अधिक प्रभावी एवं पारदर्शी बनाने पर अपना सुझाव देगी। 

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बाजार अवसर का लाभ उठाने पर फोकस

कृषि उपज की विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए समिति देश और दुनिया में बदल रहे परिदृश्य के अनुसार लाभ के तरीकों पर ध्यान आकृष्ट कर अपनी राय रखेगी। इस समिति के गठन का मूल उद्देश्य किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना होगा।

कौशल विकास

समिति प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन प्रदान करने के तौर तरीकों पर भी अपनी सलाह प्रदान करेगी। इसके लिए किसान संगठनों को शामिल कर इसमें मूल्य श्रृंखला विकास और भविष्य की जरूरतों के लिए अनुसंधान के माध्यम से भारतीय प्राकृतिक खेती के विस्तार पर सुझाव दिए जाएंगे।

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 अनुसंधान संस्थानों व कृषि विज्ञान केंद्रों को ज्ञान केंद्र बनाने और कृषि शैक्षणिक संस्थानों में प्राकृतिक खेती प्रणाली के पाठ्यक्रम और कौशल विकास की कार्यनीतियों पर भी सुझाव देना समिति की भूमिका का हिस्सा होगा।

 
फसल विविधीकरण

फसल विविधीकरण (क्राप डायवर्सिफिकेशन) के लिए भी समिति का उद्देश्य निर्धारित किया गया है। इसमें समिति, उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के मध्य जरूरतों के हिसाब से समन्वय के उपाय सुझाने का कार्य करेगी। ये भी पढ़ेंदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 30 फीसदी जमीन पर नेचुरल फार्मिंग की व्यवस्था कृषि विविधीकरण और नवीन फसलों के विक्रय के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने के तरीकों पर भी समिति अपनी सलाह प्रस्तुत करेगी। यह समिति सूक्ष्म सिंचाई योजना की समीक्षा के साथ इसमें सुधार एवं किसान हितैषी सुधारों को भी प्रस्तुत करेगी।

MSP Committee: संयुक्त किसान मोर्चा को बिनोद आनंद पर क्यों है आपत्ति?

MSP Committee: संयुक्त किसान मोर्चा को बिनोद आनंद पर क्यों है आपत्ति?

संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने एक प्रेस नोट जारी किया है। इसमें मोदी सरकार द्वारा गठित एमएसपी कमेटी (MSP Committee) के सदस्य बिनोद आनंद की सदस्यता को कटघरे में रखा गया है। मोर्चा के मुताबिक आनंद का कृषि क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है। कौन हैं बिनोद आनंद, कृषि और कोऑपरेटिव और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का उन्हें कितना अनुभव है। एमएसपी कमेटी में शामिल किए जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा को आपत्ति क्यों है? जानिये-

विरोधाभास की वजह

केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा वृहद समिति के गठन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की नाराजगी और बढ़ गई है। इस बार केंद्र सहित सदस्य बिनोद आनंद निशाने पर हैं।



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केंद्र सरकार के केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने वृहद समिति के गठन का कारण कृषि एवं कृषक उन्नयन के प्रति सरकार की सजगता बताया है। केंद्र सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित एमएसपी कमेटी (MSP Committee) गठन के बाद विपक्ष की ओर से कांग्रेस और बसपा ने लिखित सवाल किए थे।

तीन नाम रिक्त

कमेटी के गठन के लिए सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से तीन नाम प्रस्तावित करने कहा था। मंत्रालय के अनुसार सरकार ने मोर्चा की ओर से इस समिति के लिए प्रस्तावित नामों के लिए 6 महीने तक इंतजार किया। इस संदर्भ ने मोर्चा ने अभी तक नाम नहीं सुझाए हैं।

समिति के खिलाफ मोर्चा का मोर्चा

कमेटी गठित होने के बाद मोर्चा ने सदस्यों के साथ ही सदस्य चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। मोर्चा ने कई सदस्यों पर सरकार और डब्ल्यूटीओ का समर्थक होने का आरोप लगाया है। ऐसे ही एक सदस्य बिनोद आनंद (Binod Anand) पर आरोप हैं कि उनका कृषि से कोई लेना देना ही नहीं है।



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वहीं दूसरी ओर आनंद के पक्ष में दावा है कि, बिनोद आनंद काफी लंबे अर्से से खेती-किसानी के साथ ही सहकारिता क्षेत्र के लिए सेवा प्रदान कर रहे हैं। वो किसान आंदोलनों का हिस्सा रहे हैं, ऐसा भी उन्हें चुनने वालों का कहना है।

मोर्चा का प्रेस नोट

संयुक्त किसान मोर्चा अराजनैतिक ने आनंद की काबलियत पर प्रेस नोट के जरिए सवाल उठाए हैं। प्रेस नोट में दर्ज है कि, किसान सहकारिता समूह के प्रतिनिधि के तौर पर बिनोद आनंद को इस कमेटी में शामिल किया गया है, जिनका कृषि क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है। मोर्चा ने सोशल मीडिया प्रोफाइल के हवाले से बिनोद आनंद को कटघरे में रखने की कोशिश की है। मोर्चा के अनुसार आनंद 2010-14 तक बीजेपी की ह्यूमन राइट्स सेल की नेशनल टीम में शामिल रहे। मोर्चा का ये भी कहना है कि आनंद ने धानुका एग्रो-केमिकल (Dhanuka Agritech Limited) में भी सलाहकार के तौर पर काम किया।

प्राइवेट कंसल्टेंसी का हवाला

अपने खिलाफ खोले गए मोर्चा के मोर्चे पर बिनोद आनंद ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में कंसंल्टेंसी से परिवार का भरण-पोषण करने का हवाला दिया एवं दूसरे किसान नेताओं को चंदाजीवी करार दिया। उन्होंने सवाल किया कि, बीजेपी का सदस्य होने से क्या कोई सदस्य किसान नहीं हो सकता? साथ ही जोड़ा कि, किसी भी पार्टी में आस्था रखने वाला सदस्य किसान हो सकता है।

बिनोद आनंद और कृषि कानून

बिहार में नवादा जिले के घोस्तमा गांव में रहने वाले बिनोद आनंद पढ़े-लिखे छोटे किसान हैं। आनंद खेती के तौर-तरीके बदलकर उसे मॉडर्न बनाने पक्षधर हैं, ताकि किसानों के जीवन स्तर में सुधार आ सके। आनंद चर्चा में इसलिए आए क्योंकि वे कृषि कानूनों में संशोधन करके उसे लागू करने के पक्ष में थे। उन्होंने इसके लिए कुछ शर्तों के साथ अपनी संस्था के नाम से इस कानून के पक्ष में 3,13,363 किसानों के समर्थन से संबंधित पत्र, आंदोलन के दौरान ही केंद्र सरकार को सौंप दिए थे। ये भी पढ़ेंकेन्द्र सरकार ने 14 फसलों की 17 किस्मों का समर्थन मूल्य बढ़ाया

किया था विरोध

उन्होंने कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट (Model Contract Farming Act, 2018) में किसानों से कोर्ट जाने का अधिकार छीने जाने पर अपना विरोध दर्ज कराया था। इसके अलावा तीनों कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों पर भी उन्होंने आपत्ति जताई थी। इनमें सुधार की शर्त के साथ ही उन्होंने सरकार को समर्थन प्रदान किया था। आनंद का कहना है कि, मंदसौर किसान आंदोलन में उन्होंने शिव कुमार शर्मा कक्का और गुरुनाम सिंह चढूनी के साथ सहभागिता की थी। आनंद, राष्ट्रीय किसान महासंघ के सदस्यों में से एक सदस्य हैं। मंदसौर कांड मामले में जंतर-मंतर पर लंबे समय तक किए गए धरना प्रदर्शन में भी वे शामिल रहे। किसानों को कर्ज मुक्त करने के साथ ही कृषि फसल की पूरी कीमत की मांग के साथ वे आंदोलन कर चुके हैं।

कोऑपरेटिव रिलेशन

कोऑपरेटिव सेक्टर से उनके संबंधों के बारे में भी बात की जाती है। वे दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में कई कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं।

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वे सहकारिता क्षेत्र के जाने-माने संस्थान पुणे स्थित वैकुंठ मेहता नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव मैनेजमेंट के अल्मुनाई हैं। कृषि और कॉपरेटिव को लेकर आणंद, गुजरात स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट यानी इरमा और हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस के कई कार्यक्रमों का वे हिस्सा रह चुके हैं। आनंद, कॉन्फेडरेशन ऑफ एनजीओ ऑफ रूरल इंडिया (सीएनआरआई) के महासचिव हैं।

आरोप नहीं नाम दें

आरोपों के जवाब में बिनोद आनंद ने उल्टा मोर्चा को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि, लंबे इंतजार के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने नाम नहीं दिया है। ऐसे में सरकार ने एमएसपी व्यवस्था को प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने, फसल विविधीकरण और जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग के लिए कमेटी का गठन कर दिया। सरकार ने इस वृहद समिति में मोर्चा की ओर से प्रस्तावित तीन नामों के लिए जगह भी रिक्त छोड़ी है। ऐसे में कमेटी के किसी सदस्य पर सवाल उठाने की बजाय मोर्चा को अपने आपसी झगड़ों को खत्म करना चाहिए। साथ ही मोर्चा को इस समिति का हिस्सा बनकर किसान के हित में काम करने के लिए सहयोग करना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा से आनंद ने सहयोगी रुख अपनाने की अपील की है, वहीं मोर्चा का रुख सरकार के खिलाफ मोर्चा जारी रखने का नजर आ रहा है।

किसान मोर्चा की खास तैयारी, म‍िलेट्स या मोटे अनाज को बढ़ावा देने का कदम

किसान मोर्चा की खास तैयारी, म‍िलेट्स या मोटे अनाज को बढ़ावा देने का कदम

केंद्र सरकार ने बजट में श्री अन्न योजना की शुरूआत की है. हालांकि पहले से ही केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती के साथ-साथ मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. जिसे देखते हुए इस बार के बजट में सरकार ने किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए इस योजना की शुरूआत की है. सरकार के मुताबिक मोटे अनाज और प्राकृतिक खेती से जमीन का वाटर लेबल बढ़ सकता है. इसके अलावा इस तरह की खेती में ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. इस खुशखबरी के बीच बीजेपी (BJP) की कृषि विंग समेत किसान मोर्चा ने भी एक अभियान शुरू कर दिया है. यह राष्ट्रव्यापी अभियान कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के कम इस्तेमाल को लेकर है. इस अभियान के तहत उन्होंने एक करोड़ लोगों तक अपना मैसेज पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा वह करीब एक लाख से भी ज्यादा गांवों की यात्रा कर रहे हैं. किसान मोर्चा के राज्य संयोजक और अन्य सह संयोजकों के नेतृत्व में यह यात्रा गंगा के किनारे बसे गांवों में की जा रही है.

13 फरवरी को प्रशिक्षण संगोष्ठी

13 फरवरी को किसान मोर्चा एक महत्वपूर्ण काम करने जा रहा है. जानकारी के मुताबिक वह न सिर्फ यात्राओं को बल्कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण संगोष्ठी का भी आयोजन करने वाला है.बिंग के अधिकारी के नेतृत्व में इस संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा इसमें साइंटिस्ट, न्यूट्रीशनिस्ट और अन्य एक्सपर्ट्स शामिल होंगे. इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य बीजेपी के कार्यकर्ताओं को को जैविक खेती और बाजरे के बारे में जानकारी दी जाएगी. जिसके बाद वो अपने जिले के किसानों की इस विषय में मदद कर सकें. हालांकि इस संगोष्ठी के बाद सभी जिलों में इसी तरह के सत्र का आयोजन किया जाएगा.
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चौपाल और चर्चाओं का चलेगा सिलसिला

यूपी के शुक्रताल में अगले महीने से जन जागरण अभियान की शुरूआत होगी. जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई बीजेपी नेताओं की भागीदारी होगी. एक गांव परिक्रमा यात्रा भी इस अभियान का हिस्सा होगी. इसके अलावा इसमें किसान चौपाल और चर्चाओं का भी सिलसिला चलेगा. किसानों को किसान मोर्चा बजट से कई फायदे होंगे. जिसके चलते उन्हें शिक्षित करने के लिए एक हफ्ते का अभियान चल रहा है. इसके अलावा इस अभियान के जरिये किसानों को यह भी समझाना है कि, उन्हें सरकार की नीतियों से कैसे फायदा मिल सकता है. साथ ही यह भी बताना है कि, जैविक खेती को कैसे बढ़ाया जाए और नुकसानदायक रसायनों का इस्तेमाल कम किया जाए.
संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को भारत बंद का किया आह्वान

संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को भारत बंद का किया आह्वान

किसानों के दिल्ली चलो मार्च के बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 16 फरवरी को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है। एसकेएम ने अन्य किसान संगठनों और किसानों से इस भारत बंद में शामिल होने का अनुरोध किया है। संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद 16 फरवरी को सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा।

बतादें, कि मंगलवार से किसानों का दिल्ली चलो मार्च प्रारंभ हुआ है और प्रदर्शनकारी कृषकों व सुरक्षा बलों के मध्य हिंसक झड़प देखने को मिली है। झड़प में बहुत सारे जवानों के घायल होने का भी समाचार है।

भारत कितने बजे तक बंद रहेगा ?

संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद 16 फरवरी को सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा। इसके अलावा देशभर के किसान मुख्य सड़कों को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक जाम करेंगे। इस दौरान, खासकर पंजाब में शुक्रवार को ज्यादातर राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग चार घंटे के लिए पूरी तरह से बंद रहेंगे।

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किसानों की मांगें क्या-क्या हैं ?

दरअसल, किसान जिन मांगों को लेकर भारत बंद का आह्वान कर रहे हैं, उनमें किसानों के लिए पेंशन, फसलों के लिए एमएसपी, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और श्रम कानूनों में संशोधन को वापस लेने समेत अन्य मांगें शामिल हैं। इसी वजह से भारत बंद का आह्वान किया गया है। वहीं, पीएसयू का निजीकरण नहीं करना, कार्यबल का अनुबंधीकरण नहीं करना, रोजगार की गारंटी देना आदि किसानों की मांग में शामिल हैं।

भारत बंद के दौरान किन सेवाओं पर प्रभाव पड़ेगा ?

भारत बंद दौरान परिवहन, कृषि गतिविधियां, मनरेगा ग्रामीण कार्य, निजी कार्यालय, दुकानें और ग्रामीण औद्योगिक व सेवा क्षेत्र के संस्थान बंद रहेंगे। हालांकि, हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाएं जैसे एम्बुलेंस का संचालन, विवाह, मेडिकल दुकानें, बोर्ड परीक्षा देने जा रहे छात्र आदि को नहीं रोका जाएगा।